खुशी और उदासी
- kewal sethi
- Aug 15, 2020
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खुशी और उदासी
राम लाल आज खुश है नहीं उदास है
उस के मन में आशायें हैं वह निराश है
आज दफतर तीन बजे बन्द होने वाला है
दफतर में एक जलसा होने वाला है
कितने दिन से वह घर वक्त पर नहीं जा सका
बाज़ार से सौदा सल्फ नहीं ला सका
पप्पु को नये जूते भी तो दिलवाना है
टिक्कू के चाचा के घर भी जाना है
आज तीन बजे ही वह चल दे गा अपने घर
लेकिन तड़प जाता है वह कुछ सोच कर
आज का जलसा कोई रोज़ रोज़ की बात नहीं
बात ही है कुछ ऐसी कि उस का इलाज नहीं
कल दफतर के वरिष्ठ बाबू हादसे में चल बसे
परिवार में उन की बीवी और उन के चार बच्चे
कैसे हो गा उन का गुज़र वह समझ नहीं पाता
अपने बारे में भी कल्पना करते मन घबराता
रोज़ रोज़ की ज़रूरतें तो साथ लगी हैं
पर उस के आगे भी तो ज़िंदगी है
(अधूरी कविता
जुलाई 93)
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