महाभारत
(हर पक्ष अपने समर्थकों को ललकारने के लिये कुछ सच्चे झूटे तर्क प्रस्तुत करता है। कौरवों ने क्या किया होगा। इस की कल्पना यहां की गई है। अंत में वर्तमान से कड़ी जोड़ने का प्रयास किया गया है।)
उठो साथियों सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
उठो साथियो सम्भालो कमानें
यह भाई की पत्नि को छीनने वाले
यह दाव पर बीवी को लगाने वाले
लेते हैं ख्वाब राज्य का फिर से
हौसला इन का फिर बढ़ गया है
उठो साथियो सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
यह खुद को धुनर्धारी कहलाने वाले
यह एकलव्य का अंगूठा कटाने वाले
उठा रहा है गाण्डीव फिर से अर्जुन
इरादा इन का कुछ बदल रहा है
उठो साथियो सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
यह सब को दुराचारी बताने वाले
यह खुद को सदाचारी कहलाने वाले
भाई के रिश्ते को बहा दें यह पानी में
यह हम को धर्म सिखाने चले हैं
उठो साथियो सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
धन दौलत के लोभी यह पाण्डव
राज्य को हड़पने को तैयार पाण्डव
अंधे बड़े भाई का देखते पिता शासन
तर्क ले कर इन के पर निकल रहे हैं
उठो साथियो सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
पद अपना यह बचाने की खातिर
करण की जात बताने को आतुर
बहाना बनाने में हैं यह बहादुर
हमीं को नीति सिखाने चले हैं
उठो साथियो सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
तब सदाचार की रट थी अब समाजवाद का नारा
तब पाण्डू का दम था अब नेहरू का सहारा
विरोधियों को मिटाने की खातिर
तौर तरीके अब अपने बदल रहे हैं
उठो साथियों सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
तब भी थी धर्म अधर्म में टक्कर
अब भी तो है बस वही चक्कर
बता दो इन्हें न इतना यह इतरायें
पक्ष श्री कृष्ण अपना बदल रहे हैं
उठो साथियों सम्भालो कमानें
बिगुल महाभारत का बज गया है
(सागर - 19.1.74)
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