top of page

कहानी स्पीड ब्रेकर की

  • kewal sethi
  • Aug 21, 2020
  • 4 min read

कहानी स्पीड ब्रेकर की


एक जमाने में एक सड़क हुआ करती थी। हमवार, आराम देह सड़क। लोग उस पर आया जाया करते थे। लोग, गाड़ियां,ट्रक इत्यादि इत्यादि। ऐसा बहुत दिन तक होता रहा। फिर एक दिन देखा, कुछ लोग सड़क के किनारे गिट्टी और बिटुमिन मिला रहे थे। मैं ने पूछा यह क्या हो रहा है।

उन्हों ने कहा - हम पी डब्ल्यू डी वाले हैं।

वह तो सही है, पर यह कर क्या रहे हो।

गिट्टी डाल रहे हैं, उन्होंने बताया।

वह तो दिख रहा है पर क्यों।

एक बार फिर जवाब मिला - हम पी डबलयू डी वाले हैंं।


प्रश्नों के इस चक्करब्यूह से निकल कर मैं ने पास में खड़े एक सज्जन से, जो मज़दूरों को घूर कर देख रहे थे, और इस कारण ठेकेदार मालूम होते थे, से पूछा कि यह क्या हो रहा है। उन्हों ने कोई जवाब न दे कर अपना सर घुमा कर जीप में बैठे एक व्यक्ति की ओर कर दिया जैसे कह रहे हों कि मेरा इस में कोई कसूर नहीं है। यह सब इन्हीं का किया धरा है।


हम ने अब जीप में बैठे व्यक्ति से वही प्रश्न किया। उन्हों ने बताया कि स्पीड ब्रेकर बना रहे हैं। फिर शायद यह सोच कर कि अंग्रेजी हमारे पल्ले नहीं पड़ी, कहा यह गतिरोधक है।

हमारे चेहरे पर अभी भी सवालिया निशान था। इस कारण उन्हो ने समझाया कि यहां से ट्रक वाले तेजी से गुजरते हैं। उन को थोड़ा कंट्रोल करने के लिए यह काम आएं गे।

यह तो सही बात थी कि ट्रक वाले तो अंधा धुन्ध गाड़ियां चलाते ही हैं। इन पर अब रोक लग जाएगी, यह सोच कर हम खुश हुए।


कुछ दिनों के बाद वहाॅं से आधे किलोमीटर, एक किलोमीटर पर एक स्पीड ब्रेकर, यानि कि गतिरोधक, और बन गया और हमारी खुशी दुगनी हो गई।


कुछ दिन ही बीतं थे कि इन दोनों के बीच में देखा कि छोटे-छोटे स्पीड ब्र्रेकर यानि कि गतिरोधक बने हुए थे। पहले वाले तो डेढ़ एक मीटर चैड़े और 30 सेंटीमीटर ऊॅंचे थे पर इन नये वालों की चैड़ाई आधा मीटर और ऊंचाई 20 या 25 सेंटीमीटर थी। यह संख्या में तीन थे लगता था कि इन्हें बनाने वाले ‘तीन के बाद कभी नहीं’ वाले चरण में थे. अभी ‘हम दो हमारे दो’ की बात उन तक नहीं पहुंची थी। पीडब्ल्यूडी वाला तो वहां पर कोई नहीं दिखा पर एक मोटर मकैनिक पास में था। मोटर मकैनिक से पूछा यह क्या है। वह बोले भाई साहब, पहले वाले तो पीडब्ल्यूडी वालों ने बनाए हैं, यह नगर निगम ने बनाए हैं। शायद उन के पास पैसे कम थे इस लिए छोटे बन गये हैं। उस ने बताया कि पी डब्ल्यू डी वाले इन्हें मिनी स्पीड ब्रेकर कहते हैं पर हम इसे प्यार से एक्सल ब्रेकर के नाम से पुकारते हैं।


फिर देखा कि रेलवे लाइन के पाठक के दोनों तरफ मिनी स्पीड ब्रेकर यानि कि एक्सल ब्रेकर बन गए थे और वह भी पाॅंच पाॅंच। फाटक वाले ने बताया कि कर्नाटक या आंध्र प्रदेश में एक ट्रक रेलवे लाइन पार करता हुआ रेलगाड़ी से टकरा गया था। हसनपुर या महबूबपुर जैसा कोई स्टेशन था। इस लिए सरकार ने यह स्पीड ब्रेकर बनवा दिये है। हमारा कहना था कि जहां पर ट्रक गाड़ी से भिड़ा था वहां तो फाटक नहीं था पर यहां पर इस की क्या जरूरत थी।

यह बात तो भाई सरकार जाने बस हुकुम आया और हम ने बना दियें


फिर कुछ दिन बाद, दो गतिरोध और आए स्कूल के गेट के दोनों तरफ। बच्चों की रक्षा के लिये। फिर एक और। यह पंचायत ने बनवाया था। अब शोभापुर पंचायत अपनी सीमा पर बना ले तो दादुरपुर पंचायत कैसे पीछे रह जाती। उस ने भी अपनी तरफ बना दिया।


एक बार हम ई ई के पास पहुंचे। उन से कहा कि यह तो बताईये कि सड़क तो पी डब्ल्यू डी की थी फिर यह नगर निगम, यह पंचायत, यह रेल वाले, इन्हों ने कैसे यह सब स्पीडब्रेकर बना दिए. उस ने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखा और बोले - भाई साहब आप की उम्र क्या है। हमें यह सवाल अजीब सा लगा। फिर सोचा शायद डिपार्टमेंट का यह नियम हो कि सवाल का जवाब देने से पहले सवाल पूछने वाले की उम्र जानना चाहिए। अब यह समझ में नहीं आई कि पूरे साल बतायें इन्हें या साल और महीने भी बताना है या फिर साल, महीने ही नहीं, दिन भी बताने हैं। तभी शायद जवाब सही मिल सके। जब तक हम दिनों का हिसाब लगाते तब तक उन्हों ने कहा। लगता है आप की उम्र तो सौ एक वर्ष की हो गी। अजी साहब पहले ज़माने में यह सड़क पी डब्ल्यू डी की होती थी। अब तो सार्वजनिक है सार्वजनिक। जिस का जो जी चाहे करें। साइड पर स्टाल बना ले या बीच सड़क पर स्पीड ब्रेकर।


और इस तरह वह सड़क, जो हमवार, आराम देह होती थी, धीरे-धीरे गतिरोधकों में बदल गई। जैसे धागे पर माला के मनके परोये जाते हैं, ऐसे ही स्पीड ब्रेकर यानि कि गतिरोाधक आ गये। जिन्हें इन सड़कों पर चलाने का वास्ता पड़ता है, उन का कहना है कि राम, खुदा, यीशु का नाम याद करने का और कोई बेहतर तरीका न सूझ सकता था। हमारे महान देश की महान बात है कि फिर से वाहन मार्ग होने के साथ-साथ सड़कें धर्म की प्रवर्तक बन रही हैं।


जय हो स्पीड ब्रेकर।


Recent Posts

See All
पहचान बनी रहे

पहचान बनी रहे राज अपने पड़ौसी प्रकाश के साथ बैठक में प्रतीक्षा कर रहा था। उन का प्रोग्राम पिक्चर देखने जाना था और राज की पत्नि तैयार हो...

 
 
 
खामोश

खामोश जब से उस की पत्नि की मृत्यु हई है, वह बिल्कुल चुप है। उस की ऑंखें कहीं दूर देखती है पर वह कुछ देख रही हैं या नहीं, वह नहीं जानता।...

 
 
 
 the grand mongol religious debate

the grand mongol religious debate held under the orders of mongke khan, grandson of chengis khan who now occupied the seat of great khan....

 
 
 

Commentaires


bottom of page