this is history. what happened more than 30 years back is not relevant today.
the things have changed for good or bad (depending upon which side of band you are.
but hope you can still enjoy the idea.
इटली नी रानी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
अखबारों समाचारों से हम ने सुनी कहानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
इटली में पली थी वह इंगलैण्ड में शिक्षा पाई थी
भारतीय संग विवाह कर इस देश में आई थी
सब से प्रसिद्ध परिवार में उस ने पैठ बनाई थी
एक मासूम से छात्र को अपने जाल में फंसाई थी
विधि ने क्या सोचा उस के बारे में
यह वह कब जानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
भारत में वह आई थी पर उसे इटली भूमि प्यारी थी
तन मन वारा था यहां पर पर सभ्यता से न्यारी थी
रही भारत में पर इटली की नागरिकता ही जारी थी
निदेशक थी मारुति की पर फियट उस की सवारी थी
देवर की मृत्यु ने पर बदल दी यह सब कहानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
पति आये राजनीति में वह भी साथ चलती थी
नई नई आशा उस के मन में भी पलती थी
भारत की पटरानी बनने की संभावना लगती थी
इस में आने वाली हर रुकावट उसे खलती थी
इटली की नागरिकता की अब देनी कुर्बानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
समय है बलवान उसे भी शायद कुछ जल्दी थी
इसी लिये तो सास समय से पहले चल दी थी
कारबाईन की गोली ने सारी किस्मत बदल दी थी
कल की उलझन को आज ने हल कर दी थी
भारत की जनता को तो बस मोहर लगानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
लेकिन हाय होनी अपना रंग बदल कर आई
बोफोर्स के सौदे ने जाने कैसी करामात दिखाई
अपने हो गये बेगाने, बेगानों ने गिराने की कसम खाई
पांच साल के शासन के बाद ही हो गये धराशायी
मुशिकल में आई वह जो कल तक रानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
जनता जो आई उस की भी अपनी मजबूरी थी
देश की चिन्ता छोड़ कुर्सी बचाना ज़रूरी थी
जल्दी से गद्दी पक्का करने की कोशिश पूरी थी
बोफोर्स छोड़ मण्डल पर टांगी अपनी डोरी थी
पर दूसरे क्यों पीछे रहें उन्हें भी तो सत्ता पानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
एक बार फिर संग्राम पड़ा दिन हो जायें भारी
सारी नेता बिरादरी फिरती देश में मारी मारी
आज दिल्ली कल मुम्बई फिर मद्रास की बारी
एक वोट की खातिर सुख निद्रा सब बलिहारी
डेढ़ माह दुख था फिर अवधि पांच वर्ष सुहानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
अगले क्षण क्या हो गा कब किस ने है जाना
मुकद्दर में था विजय यात्रा का अचानक रुक जाना
एक बम में भारत की किस्मत को था बदल जाना
हारती हारती कांग्रैस को था विधि को जितवाना
गये राजा पर देश को तो कीमत चुकानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
गये राजा पर फिर भी सत्ता में ही बसता प्राण था
रानी के नाम पर वोट मांगने का उन का अरमान था
पर शोक ग्रस्त रानी का परिवार भी तो परेशान था
उतावली दिखाने का न यह मौका था न स्थान था
पल पल बदलती वोटर की मनोदशा किस ने जानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
हुआ निर्णय स्थगित, चापलूसों को आ गया चक्कर
हाथ से जाती सत्ता देख सब के मन में छा गया डर
बिना आधार के कैसे लड़ें गे यह परजीवी मच्छर
बदलना इस निर्णय को रह गया जीवन का मकसद
मुसाहिबों के अरमानों से वह नहीं अनजानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
पस्त हुए पहली बार परजीवी पर नहीं मानी हार
चुनाव के बाद फिर तैयार हुए करने को वार
पर रानी ने फिर झिड़क दिया पल्ला लिया झाड़
नरसिंह को लाना पड़ा क्या करते मक्कार
कमज़ोर व्यकित ही चाहिये फिर किस्मत आज़मानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
अमेथी के चुनाव पर था अब तो सारा दारोमदार
करने को मजबूर रानी को चलाये सब हथियार
ब्यानों की झड़ी लगा दी, मिलने गये बार बार
एक दो तो मरण व्रत पर भी बैठे हो कर बेकरार
रानी चुप थी मुशिकल उस के मन की थाह पानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
इधर सत्ता सुख और उधर मन में डर समाया था
इस अज्ञानी जनता का भेद न किसी ने पाया था
कभी सहानुभूति में जिस को सिर पर बिठाया था
समय बदलते के साथ ही उसे पैरों से ठुकराया था
ऊपर नीचे आने जाने की यह व्यथा पुरानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
कुछ क्षण को सत्ता सुख फिर किस ने जाना था
आज आगे पीछे जो उन्हीं ने खंजर चलाना था
इटली के सीज़र ब्रूटस का किस्सा जाना पहचाना था
याद वी पी जैसों का फिर से उसे दौहराना था
सिर्फ इतिहास में ही उसे कहां जगह बनानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
रानी ने सोचा समझा, सब सुना, सब गुना
आखिर अपने हित में अपने लिये वही मार्ग चुना
पलायन भी कभी कभी होता है वीरता से सौ गुना
याद दिलों में रहे तो अच्छा यही उस ने था सुना
अमेथी चुनाव लड़ कर मिट्टी पलीद नहीं करानी थी
नहीं लड़ी पर नहीं लड़ी वह इटली वाली रानी थी
(जनवरी 1992 - राजीव की मृत्यु के बाद अमेथी उप चुनाव न लडने के निर्णय के पश्चात)
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