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असली शिक्षा

  • kewal sethi
  • Jul 6, 2020
  • 2 min read

शिक्षा


इण्टरवियू देने के बाद एक प्रत्याशी यूँ हम से बोले

यदि आप सुन सकें तो हम भी अब अपना पक्ष खोलें

हम ने कहा ज़रूर अपनी प्रतिक्रिया बताईये

क्या है आप के मन में आराम से फरमाईये

कहने लगे कि कहते हैं आप हम केवल रट्टा लगाते हैं

चार दिन पढ़ते हैं परीक्षा में जा कर उलट आते हैं

जैसे ही सिमैस्टर खतम हुआ सब भूल जाते हैं

इसी कारण आप के प्रश्नों का उत्तर दे नहीं पाते हैं

दर असल यह आप का भ्रम है बेकार का ख्याल है

बौसीदा हो चुके हैं आप उसी का यह परिणाम है

आप लोगों की पढ़ाई का न कोई सलीका न स्टाईल था

न आप के पास कैल्कूलेटर, न कम्प्यूटर न मोबाईल था

इसी कारण हर समय आप किताबों में लगे रहते थे

रट्टा वास्तव में हम नहीं आप ही लोग लगाते थे

तभी तो आप को याद हैं वह गणित के बेकार फारमूले

कैमिस्टरी की इकवेशन तक आप अभी तक नहीं भूले

डाईरैक्ट इनडाईरैक्ट करों की आप को पहचान है

मैनजमैण्ट के चार पी याद होने पर भी नाज़ है

इसी कारण आप पिछड़ गये न दुनिया से काम रहा

पूरे साल पढ़ते रहे लक्ष्य बस केवल इमितहान रहा

कभी माँ बाप का खौफ़ कभी समाज का डर

दबाते रहे अरमानों को न उन्हें कर सके ज़ाहिर

हम नये ज़माने की पौध हैं पूरा लाभ उठाते हैं

जीवन के हर पल का मिल कर जशन मनाते हैं

किताबों में जो लिखा है केवल वह ही ज्ञान नहीं

संसार में जो आनन्द प्राप्त न कर सके इंसान नहीं

रही परीक्षा की बात उस के तो अपने तरीके है

नोटस, हिकमत अमली, गैजट सब हम ने सीखे हैं

अरे परीक्षा क्या है बस पड़ाव है जि़ंदगानी का

अंतिम लक्ष्य हो नहीं सकता वह किसी प्राणी का

क्यों संसार की हर बात को मन में बिठाते रहें

बेकार की बातों में गम्भीर हो कर समय गंवाते रहें

क्रिकेट देखते हैं मन में कितना आनन्द आता है

गुगली है कि सिवंग इस से क्या अन्तर आता है

गोल करता है वल्र्ड कप फुटबाल में जब जिन्दाने

फुटबाल 450 ग्राम का है या 550 का क्यों जाने

जो वक्त है सामने उस का आनन्द उठा लीजिये

जो बीत गया उसे बिना किसी गम के भुला दीजिये

फारमूले आप को भूले नहीं यह हम ने माना

गाने आप को पुराने याद है यह हम ने जाना

पर यह बताईये उन पर आप थिरके भी हैं कभी

याद कर लिये शब्द, भावनायें रह गई दबी दबी

मेरा मश्वरा है कि इन सब से तौबा कर लीजिये

दिन बचे हैं कितने अब तो इन का लुत्फ़ लीजिये

कहते हैं कक्कू कवि अन्त में यही याद रह जाये गा

जो इन को न पहचान सका वह ज़रूर पछताये गा


केवल कृष्ण सेठी

14 जुलार्इ 2006

(एम बी ए के ग्रुप डिस्कशन तथा इण्टरवियू के बाद)


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