we are so used to adulteration that any change spells danger. one such discomfiture is described below.
अरे भाई दूध वाले
अरे भाई दूध वाले आजकल दूध आता है कुछ गाढ़ा
भला बता तो सही हम ने तेरा क्या है बिगाड़ा
क्या आजकल दूध में ज़्यादा मैदा मिलाया करता है
लेकिन आजकल तो मैदे से खालिस दूध सस्ता है
या सुना है दूध में मिला सकते हैं सोयाबीन का आटा
इस में नहीं कुछ हो सकता तुम्हें आजकल घाटा
पर कुछ तो हम लोगों की सेहत का ध्यान करो
छोड़ो यह झूटा धंधा हमें मत अधिक परेशान करो
कहो तो तुम्हारे भाव कुछ ऊपर बढ़ा दें
जानते हैं हाल तुम्हारा हम भी महंगाई के मारे हुए हैं
चार दिन से हालत सब की इतनी खराब
अब क्या कहें पेचिस से है हमारा बुरा हाल
अब गुज़ारिश है तुम से पुरानी रविश पर आओ
या दाम बढ़ा दो अपने या पानी ज़्यादा मिलाओ
दूध वाले का स्पष्टीकरण
हज़ूर अब क्या मैं आप से इस बात को छपाऊं
पड़ा हुआ हूं इस दुविधा में कैसे किस को बताऊं
जानते हैं मुझ को आप का पुराना नमकख्वार हूं
आप से ज़्यादा आप की सेहत का दस्तख्वार हूं
पर उलझन है इतनी कि बस बता नहीं सकता
मैं दूध में आप के अब पानी मिला नहीं सकता
पुलिस वालों का भी मैं हक पहुंचा नहीं पा रहा
मिल्क इंस्पैक्टर भी मुझ को रोज़ डांट पिला रहा
बीवी भी रोज़ मुझे खूब दुत्कारती है
सारी बरादरी मुझे गद्दार पुकारती है
लेकिन उम्मीद है कि चन्द रोज़ की यह परेशानी है
फिर तो गाड़ी पुराने ढर्रे पर आ ही जानी है
मालूम है आप को तो सारे शहर का हाल
चार रोज़ से नल में इक बूंद पानी आया हो क्या मजाल
आप की सेहत का ज़ामिन हूं इस को भुला नहीं सकता
मैं दूध में नदी नाले का पानी तो मिला नहीं सकता
लहज़ा कुछ रोज़ सबर कीजिये मानिये मेरी बात
आज नहीं तो कल बदल जायें गे यह हालात
जैसे ही नल में नगरपालिका के आ जाता है पानी
खत्म हो जाये गी आप की यह सारी परेशानी
तब तक के लिये मेरा साथ निभा लीजिये
कुछ रोज़ तो खालिस दूध को अपना लीजिये
(21.3.80)
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